प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

तीन दिन का समय दे बोले, सात फरवरी से खुद खोलेंगे स्कूल

सरकार ने 134-ए के पैसे नहीं दिए तो नहीं करेंगे दाखिले

फीस वृद्धि कानून पर दोबारा विचार करे सरकार

चंडीगढ़। प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा ने ऐलान किया है कि प्रदेश सरकार ने तुरंत सभी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी तो राज्य में सात फरवरी से अपने स्तर पर सभी स्कूल खोल दिए जाएंगे। एसोसिएशन के प्रधान राम अवतार शर्मा व अन्यों ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एसोसिएशन प्रदेश के सभी विधायकों,सांसदों, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर स्कूल खोलने की मांग रख चुकी है। स्कूल बंद करने के निर्णय से अभिभावक, अध्यापक और बच्चे सभी परेशान हैं। देशभर में स्कूल खुल चुके हैं। हरियाणा प्रदेश में अभिभावक जगह जगह प्रदर्शन करके स्कूल खोलने की मांग कर रहे हैं। 
राम अवतार शर्मा ने कहा कि अगर सरकार ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया तो सात फरवरी से प्रदेश भर में अपने स्तर पर स्कूल खोल दिए जाएंगे। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए रामअवतार शर्मा ने कहा कि 134-ए की पहली लिस्ट के दाखिले करवाते समय सरकार ने बकाया पैसों के भुगतान के लिए पोर्टल खोलने का भरोसा दिया था। जिसके चलते स्कूल संचालकों ने दाखिले कर दिए। आजतक न तो सरकार ने पोर्टल बनाया है और न ही नौवीं से बाहरवीं कक्षाओं की फीस निर्धारित की है। उन्होंने साफ किया कि सरकार की दूसरी सूची के अनुसार बच्चों का दाखिला नहीं किया जाएगा। 
अस्थायी मान्यता वालों स्कूलों को स्थाई मान्यता प्रदान किए जाने की मांग करते हुए राम अवतार शर्मा ने कहा कि निजी स्कूलों के कोरोना काल के बिजली बिल माफ किए जाएं। शर्मा ने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय में स्कूल बसों का पैसेंजर टैक्स माफ किया गया था। जिसे फिर से लागू कर दिया गया है। 
सरकार द्वारा हाल ही में लागू किये गए फीस संबंधी नियमों का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पहले स्कूल पांच से दस प्रतिशत तक कि वार्षिक फीस वृद्धि कर पाते थे। अब सरकार ने इस वृद्धि को सिर्फ अध्यापकों के वेतन से जोड़ दिया है। 
जबकि वेतन के अतिरिक्त भी स्कूलों के खर्चे होते हैं। सरकार ने स्कूलों द्वारा बिल्डिंग के रखरखाव, ट्रांसपोर्ट व् अन्य संसाधनों पर किये जाने वाले खर्चों को नजरअंदाज कर दिया गया है।